Saturday, March 7, 2009

चलो ब्लॉग लिखें

यह महज इत्तेफ़ाक है कि इस ब्लॉग पर इतने दिनों के सन्नाटे के बाद जब लिखने का निश्चय किया तो अचानक ऐसा अवसर आया कि भारतीय जनसंचार संस्थान में ही आइबीएनएमएस ने एक शिविर आयोजित कर डाला जिसमें देश के कई ब्लॉग लेखक एकत्रित हुए और दिन भर ब्लॉग और नव माध्यम की विधाओं पर विचार करते रहे।



मैं पूरे दिन तो संगोष्ठियों में नहीं रह पाया लेकिन जितनी देर रहा उस दौरान यही पाया कि यह संगठन अभी नव माध्यम और ब्लॉग से जुड़े सभी लोगों को एक मंच पर नहीं ला पाया है, लेकिन पहल अच्छी है और ऐसी संस्थाएँ अगर और लोगों को भी अपने साथ जोड़ें और उनकी समस्याओं और अधिकारों के संरक्षण की जिम्मेदारी भी लें तो मुख्यधारा की पत्रकारिता से अलग बहुत कुछ लोकतांत्रिक लेखन और बहुत कुछ प्रतिभाओं को जानने के अवसर मिलेंगे जैसे अभी मिलने लगे हैं।



यह भी सही है कि अभी देश में इतनी संपन्नता नहीं आई है कि आम आदमी अखबार की जगह नव माध्यमों का इस्तेमाल करे, लेकिन आने वाले दिनों में इनका दायरा और अधिक बढ़ेगा जिससे प्रशासन, शिक्षा और व्यापार से लेकर लोकतांत्रिक विमर्शों में अधिकाधिक लोगों की भागीदारी संभव होगी।

बातचीत तो अब होती ही रहेगी इसलिए आज इतना ही....

1 comment:

mediajantantra said...

सर, मैं ये जानता हूं कि ये शहर मेरे जैसे लोगों को बुलाता है जो छोटे शहर में सपने देखते है। सपनों की तलाश में यहां चले आते है। पूरा करने की धुन में भूल जाते है अपनी चाल और जीने का तरीका, सपने के बदले कुछ तो देना होगा। सोच लेते है हम लोग। कुछ को मकान मिल जाते है, कुछ को गाडियां जो भाग्यशाली हुये तो कमाई का एक लगा-बंधा जरिया। और फिर जब देखते है तो पता चलता है कि सपना बेचने के बदले ये सब हासिल हुआ है। मैं कविता नहीं सिर्फ विचार लिख देता हूं। मैं न उनकी नोंक-पलक संवारता हूं न उनकों किसी सांचे में ढ़ालता हूं। ऐसे में आप को यदि उनको पढ़ने के बाद जो भी विचार आये तो आप जरूर लिखे।
इंतजार