किसी भी जनतंत्र के लिए जनता और जनसंचार बेहद आवश्यक हैं। प्रस्तुत ब्लॉग इनसे जुड़े तमाम पहलुओं पर एक लोकतांत्रिक नज़रिया सामने रखने का प्रयास करेगा। और भी कुछ बातें कर सकें तो सोने में सुहागा...
Thursday, February 26, 2009
कई दिनों तक ऐसे ही छोड़ देने के बाद आज अचलेन्द्र (हिन्दुस्तान, कानपुर) के कहने पर इसे आरंभ कर रहा हूँ। पहले ब्लॉग के लिए आपको बहुत इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा यह वादा है.....
साहित्य और पत्रकारिता में दिलचस्पी की वजह से अभियांत्रिकी की पढ़ाई छोड़ कर दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फ्रांसीसी भाषा और साहित्य का अध्ययन आरंभ किया। वहीं से भाषा विज्ञान में शोध उपाधि प्राप्त करने के दौरान आकाशवाणी और दूरदर्शन में कार्य किया। बाद में जनसंचार और पत्रकारिता के प्रशिक्षण और अध्यापन से जुड़ा और भारतीय जनसंचार संस्थान एवं जामिया मिल्लिया इस्लामिया में प्रशिक्षण दिया।
इस पूरे दौरान पत्रकारिता लेखन में सक्रिय योगदान। कविताएँ और कहानियाँ भी प्रकाशित हुई हैं।